Monday, February 23, 2009

ग़ज़ल

"यशु सबका हाज़त रवा बन के आया"

वो है सबका मालिक खुदा बन के आया !

वो इंसानियत की सदा बन के आया !!

वो करता है रहमत की बारिश सभी पर !

वो दुखिओं के दुःख की दवा बन के आया !!

उसी की बदोलत यह जीवन है बदला !

हर इक काम में वो रजा बन के आया !!

वो सूली पे चढ़ के भी जिंदा रहेगा !

फिजाओं में ख़ुद वो हवा बन के आया !!

हमारी ज़रूरत वो ख़ुद जानता है !

"यशु सबका हाज़त रवा बन के आया" !!

अकीदत है सबको उसी के ईमा पर !

हर इक दिल में वो दिलरुबा बन के आया !!

करो तुम भी "रजनीश" सजदा खुदा को !

मेरी इस जुबां पर दुआ बन के आया !!

Wednesday, February 4, 2009

ग़ज़ल

नहीं लगते कोई ओसार प्यारे !

कोई भी कर ले तुझसे प्यार प्यारे !!

ये दुनिया है यहाँ मतलब की साथी !

नही सच्चे यहाँ इकरार प्यारे !!

रजा उसकी में सब कुछ हो रहा है !

तो फिर काहे को है इनकार प्यारे !!

था सोचा दिल से अब तो दिल मिलेंगे !

मगर रहती है अब तकरार प्यारे !!

सभी मिल जुल रहे कोशिश हमारी !

बनाएं है तभी त्यौहार प्यारे !!

मुसीबत में किसी के काम आना !

यही इंसानियत दरकार प्यारे !!

नही मिलता तशदद में सकूँ है !

मुझे इस बात पे इतबार प्यारे !!

तमन्ना थी तेरी "रजनीश" कब से !

तू कर ले दिल का अब इज़हार प्यारे !!

Monday, February 2, 2009

ग़ज़ल
किसी बेबस का बरबस तुम जो कत्लेआम करते हो !
दरिन्दे हो दरिंदो वाला तुम जो काम करते हो !!
किसी को मार कर बेशक आज तुम खुशी से जीते हो !
मुझे लगता है जी कर भी सुबह शाम मरते हो !!
ज़मीर अब मर चुकी तुम्हारी एक दिन तुमने है मरना !
किसके वास्ते क्यों तुम इतना सामान करते हो !!
कोई मासूम सा इक फूल अभी जो खिल नही पाया !
उसी को मारकर ख़ुद को बड़ा जाबाज़ समझते हो !!
कायर हो तुम बुजदिल हो तुम्हारा दिल नही वो है पत्थर !
घीनोना काम करके भी तुम अपनी शान समझते हो !!
किसी अंधे की लाठी को तो तुमने तोड़ डाला है !
सहारा अपने ही खातिर कहाँ तलाश करते हो !!
है जिसकी कोख से जन्मे उसी का दूध पिया है !
उसी माँ का सरे बाज़ार तुम्ही अपमान करते हो !!
जो सच है कहदो तुम रजनीश काहे घुट घुट के मरते हो !
है मरना एक बार तुमने तो क्यों मरने से डरते हो !!